MAIN ASHQ HU
गम के महलो से नम आँखों तक मैं हु
खिलखिलाती हसी में छुपती ख्वाइश में हु
चाहत के तेरे इज़हार में
सजा के वार में साथ मैं हु
मैं... मै अश्क हु
कभी दिल से आकर , आँख से निकलता हु
दिल से कभी निकलकर, दिल में ही रह जाता हु
हर दर्द तेरा खुद में समां कर
गिरता हु मैं खुद को चुराकर
हर ख्वाइश हो तेरी पूरी इसलिए
गिरता हु हमेशा मैं तुझको उठाकर
तेरा नाटक कभी, कभी तेरी पहचान हु
मैं...... मैं अश्क हु
दबी दबी तेरी हसी में होंठों के बीच हु
मुकम्मल हुई जो दुआ तेरी, हर उस दुआ का बीज मैं हु
बिन बोले बता देता हु ख़ुशी तेरी चुपकर
छुपा लेता हु राज तेरा खुद को खुद से छुपाकर
दिल को तेरे आराम मिले इसलिए
बिखरता हु हमेशा मैं खुद से टूटकर
तेरा साथी कभी, कभी तेरी छुपी बातें हु
मैं..... मैं अश्क हु
बदलते हर रंग के साथ मैं बदलता हु
संभालो जितना मुझे उतना ही मैं बिगड़ता हु
घोसला नही हैं मेरा जो सोचू ठहरकर
हर जगह मिलूंगा तुझे बस खुद के लम्हे याद कर
बदलते वक़्त के हर लम्हे से सच दूंगा तुझको
देखेगा मुझको जब आँखों से दिल में उतारकर
तेरा सच कभी, कभी तेरा आईना हु
मैं... मैं अश्क हु
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