TUTE PATE KI KAHANI
NEW LEAF WITH DROPLET |
नई सवार (सुबह ) की
भौर-भौर में
नई नई ज़िन्दगी के लिए जागा वो,
पाकर घिरा खुद को
घटा काली के साये में
अपनी डाल की ओर भागा वो ||
पर अब साथ वो रूठ गया,
आंचल अब वो छूट गया,
जीवन जीना है खुद का, अब खुद ही
क्योकि.......
डाल वो पत्ते से....... अब टूट गया ||
यात्रा अभी है आरंभ हुई,
मुश्किलों वाला पथ आगे है
जबरन उसकी उड़ान
संग हवा के प्रारंभ हुई ||
सहलाना था जिसको
मीठे-मीठे अरमानो से,
गिरा रही है हवा वही
ले जाकर ऊँचे आसमानों से,
छाया को है अब ढूंढ रहा
जान बचाने अपनी
इन बेईमान तूफानों से||
होती अगर डाल उसकी
तो वो भी इतराता होता,
किस्मत में मिलता वृक्ष अगर
तो छाया बन मंडराता होता
बारिश नन्ही बुंन्दे छूती
उसकी हरियाली को
मस्ती में लहराता होता।।
TUTA PAATA |
लाकर पैरों के निचे
जाने किस-किस ने कुचला होगा,
पूरी करने जरुरत अपनी
न जाने कितना मसला होगा।।
फिर भी
जीवन पथ है अपना
खींचा उसने,
हो गया था बेदम वो,
पर जीवन सींचा उसने ||
समर हुआ है शुरू
तो उसका अंत भी होगा
हर जीवन की साँस से ही
अगले जीवन का आरम्भ होगा ||
दिखा कर संघर्ष अपना
इस दुनिया को
खुद के लिए राख हुआ,
गिरता था जो इधर उधर
देकर मिटटी में खुद को
वो भी आज ख़ाक हुआ,
बिखरे न कोई अलग
और
जो बिखरे अब
तो खुद ही संभले
मुस्कुराते से जीवन को उसका
यही अंतिम डाक हुआ...... यही अंतिम डाक हुआ ||
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