Hum se Tum tak
उसके पास मेरे लिए वक़्त नहीं था और आज वक़्त ये आया की कोई और मेरे साथ हैं । वो मुझे हाथ नहीं पकड़ने देता था और आज ये शक़्श सबके सामने मेरा हाथ पकड़ने को तैयार है। वो कभी मुझे एक प्रॉमिस न दे सका और ये आज मेरे साथ सात वचन करने को तैयार है। अनजान है, पर मुझे एक नज़र में पसंद कर लिया और जिसका इंतज़ार मेरी नज़र को था वो मेरे घरवालों से नज़रें बचाता हैं। कैसे भरोसा करू इसपे जिसको मैं शायद पहली बार मिलूंगी, जिसको शायद मेरी आदतें नहीं पसंद, जिसको शायद सिर्फ साथ चाहिये किसीका और न जाने कितने ऐसी शायद हैं मेरे दिमाग में। पर कैसे उसको मन करू जिसने मेरे पापा की बात मान ली, जिसने मेरे माँ में मेरी झलक दख कर मेरे लिए हां करदी। अजीब सी उलझन चल ही रही थी की तभी आवाज आयी। ... अब दूल्हा दुल्हन खड़े हो जाये। अचानक मैं अपनी सोच से बहार निकली और अब एक नयी सोच के साथ खड़ी हुयी। नहीं पता की अब क्या होगा, न जाने ये शक़्श कैसे होगा। पर अब वचन सात नहीं चोदाह (14 ) होंगी। सात होंगे -जो दुनियाँ के सामने होंगे और सात होंगे - जो मै दूंगी खुद को पहला वचन - अब मैं हर उस शक़्श ...