AJIB SI DOSTI
एक पुरानी दुनिया का नया खवाब था
मेरे लिए रोज की तरह ही आम था
घडिया तो अभी भी चल रही है
ये सुबह का रंग मेरे लिए शाम था
हर तरफ उसकी शोरहत का शोर जरूर था
उसकी आँखों में मैं मजबूरिया पढ़ रहा था
दुनिया खुश होगी उसके दर्द से
वो ये सोच कर हर दर्द को साथ चला रहा था
ये इत्तेफाक ही था शायद मिलना दोनों का
उसकी ज़िन्दगी दर्द के साथ साथ चल रही है
उसके दर्द को रंगना मेरे लिए यही काम था
बदलते वक़्त के साथ हर बार वो दर्द बदल रहा था
चाह मेरी हर बदलती साँसों के साथ टूट रहा था
आसान नहीं है ये सीधी राह
यही सोचकर उसकी ज़िन्दगी में हर गम था
सफर ये छोटा ही था शायद दोनों के संग का
उसकी साँसे रुक रुक कर चल रही है
उसकी ज़िन्दगी का रंग ही मेरे लिए राम था
IT'S NOT FOR A PARTICULAR SITUATION
TRY TO RELATE WITH YOU
AND TELL IS IT TRUE OR FAKE...........
THINK FOR SOMETHING.
Hello friend
ReplyDeleteI am not a experienced one
I right that what comes in mind
Please read it and give comment.......